हिंदी विभाग महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 1959 के आरंभिक दिनों से ही उसका एक अनिवार्य हिस्सा रहा है। विभाग बी.ए.(ऑनर्स) हिंदी , बी.ए.प्रोग्राम तथा अन्य बी.ए.(ऑनर्स) पाठ्यक्रमों में योग्यता प्रदायी हिंदी का शिक्षण देता रहा है। एम.ए. के स्तर पर ट्यूटोरियल कक्षाएँ लेता रहा है। डॉ तिलक राज शर्मा,डॉ जगदीश भारद्वाज ‘सम्राट’, डॉ प्रेम प्रकाश गौतम,डॉ गिरीश चंद्र त्रिपाठी,डॉ एस.के.चंदेल और डॉ सुरेश्वर के.शास्त्री विभाग के आरंभिक सदस्य रहे है, जिनके महत्त्वपूर्ण योगदान और प्रयासों से विभाग का स्वरूप निर्मित हुआ है। डॉ जयदेव तनेजा (प्रसिद्ध रंग समीक्षक, नाट्यलोचक एवं संपादक), डॉ सुन्दर लाल कथूरिया(कथा आलोचक, नाट्य समीक्षक, पूर्व प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग , भाव नगर विश्वविद्यालय), डॉ सुरेन्द्र नाथ सिंह (प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय), वीरेंद्र कुमार अग्रवाल एवं डॉ राजेंद्र प्रसाद भारद्वाज हमारे विभाग के पूर्व प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण सदस्य रहे हैं।
- विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास
- रचनात्मक विकास
- सामाजिक सांस्कृतिकचेतना का विकास
- हिंदी भाषा का क्रियात्मक ज्ञान
- साहित्य का सामाजिक,ऐतिहासिक, रचनात्मक एवं तुलनात्मक अधययन
- जिम्मेदार नागरिक निर्माण